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संचार साथी एप के प्री-इंस्टॉलेशन की अनिवार्यता हटाने संबंधी केंद्र सरकार का निर्णय

 

केंद्र सरकार ने संचार साथी एप को लेकर जारी विवादों और प्राप्त सुझावों के बाद एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सभी स्मार्टफोन्स में इस एप के प्री-इंस्टॉलेशन की अनिवार्यता हटाने की घोषणा की है। दूरसंचार मंत्रालय ने यह जानकारी अपने आधिकारिक एक्स (X) पोस्ट के माध्यम से साझा की।

मंत्रालय के अनुसार, संचार साथी एप का उद्देश्य नागरिकों को साइबर अपराधों से सुरक्षित रखना और डिजिटल दुनिया में जागरूकता बढ़ाना है। एप पूरी तरह सुरक्षित है और इसकी सहायता से कोई भी नागरिक संदिग्ध ऑनलाइन गतिविधियों की रिपोर्ट कर सकता है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस एप का कोई अन्य उद्देश्य नहीं है और उपयोगकर्ता चाहें तो इसे किसी भी समय अनइंस्टॉल कर सकते हैं।

सरकार ने बताया कि संचार साथी एप की बढ़ती लोकप्रियता और नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मोबाइल निर्माताओं के लिए इसे प्री-इंस्टॉल करना अब अनिवार्य नहीं रहेगा।

इस निर्णय को हाल ही में स्मार्टफोन निर्माता एपल (Apple) द्वारा प्रकट की गई चिंताओं से भी जोड़कर देखा जा रहा है। एपल ने यह कहते हुए प्री-इंस्टॉलेशन को लेकर असहमति जताई थी कि इससे उपयोगकर्ताओं के निजी डेटा पर प्रभाव पड़ सकता है।

वहीं, एप के अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन के पिछले आदेश को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा लोकसभा और अन्य मंचों पर विरोध भी दर्ज कराया गया था। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने निजता से जुड़े मुद्दों पर गंभीर सवाल उठाए थे।

दूरसंचार मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद में स्पष्ट किया कि ‘संचार साथी’ एप किसी भी प्रकार की जासूसी नहीं करता, न ही सरकार की ऐसी कोई मंशा है। यह एप नागरिक सुरक्षा, साइबर जागरूकता और धोखाधड़ी रोकथाम के लिए ही विकसित किया गया है।

सरकार नागरिकों को आश्वस्त करती है कि डिजिटल सुरक्षा से जुड़े सभी कदम पारदर्शिता और जनसहभागिता के साथ उठाए जाते रहेंगे।