एनआईटी राउरकेला के वैज्ञानिकों ने खोजा कोलन कैंसर के उपचार में संभावित देसी समाधान
लॉन्ग पेपर (पिप्पली) में मिला नेचुरल कंपाउंड ‘पाइपरलोंग्यूमाइन’ कोलन कैंसर कोशिकाओं पर प्रभावी
राउरकेला, ओडिशा — नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) राउरकेला के शोधकर्ताओं ने कोलन कैंसर के उपचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज की है। वैज्ञानिकों की टीम ने लॉन्ग पेपर (पिप्पली) में पाए जाने वाले एक प्राकृतिक तत्व पाइपरलोंग्यूमाइन की पहचान की है, जिसके कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करने और कोलन कैंसर के उपचार में विशेष भूमिका निभाने की क्षमता पाई गई है। यह शोध अमेरिका की नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी तथा सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के साथ मिलकर किया गया है और जर्नल बायोफैक्टर्स में प्रकाशित हुआ है।
आयुर्वेदिक औषधियों पर आधारित यह अध्ययन दर्शाता है कि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों में मौजूद सक्रिय तत्व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, सूजन कम करने और कैंसर कोशिकाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
कोलन कैंसर: बढ़ता खतरा
कोलन या रेक्टम में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि से उत्पन्न यह कैंसर अक्सर बिना लक्षणों के शुरू होता है। देर से पता चलने पर इलाज कठिन हो जाता है। शुरुआती पहचान और प्रभावी उपचार विकल्पों की कमी इस बीमारी को और गंभीर बना देती है।
शोध की मुख्य बातें
एनआईटी राउरकेला के लाइफ साइंस डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बिजेश कुमार बिस्वाल ने बताया कि मौजूदा कीमोथेरेपी उपचार न केवल दर्दनाक हैं, बल्कि उनके दुष्प्रभाव भी लंबे समय तक देखे जाते हैं, जैसे—बाल झड़ना, थकान, इम्यूनिटी कम होना और नर्व डैमेज। इसके अलावा, कैंसर कोशिकाएं अक्सर कीमोथेरेपी दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेती हैं।
डॉ. बिस्वाल के अनुसार, पाइपरलोंग्यूमाइन पर किए गए लैब परीक्षणों में ज्ञात हुआ कि यह यौगिक स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कोलन कैंसर कोशिकाओं को प्रभावी रूप से नष्ट कर सकता है।
सस्ता और सुलभ उपचार का संभावित विकल्प
पिप्पली भारत में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली, आसानी से उगने वाली और किफायती औषधि है। इस आधार पर पाइपरलोंग्यूमाइन भविष्य में एक कम लागत वाला उपचार विकल्प बनने की क्षमता रखता है, विशेषकर कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए, जहां कैंसर का इलाज अत्यधिक महंगा होता है।
अगले चरण का शोध
वैज्ञानिकों की टीम अब पाइपरलोंग्यूमाइन को ऑक्सालिप्लैटिन जैसी आधुनिक कीमोथेरेपी दवाओं के साथ मिलाकर परीक्षण कर रही है, ताकि कीमो-रेसिस्टेंट कैंसर मरीजों में उपचार की प्रतिक्रिया बढ़ाने के नए रास्ते तलाशे जा सकें। यह खोज एडवांस्ड कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज में नई उम्मीद जगाती है।