मॉर्गन स्टेनली: 2026 में भारतीय शेयर बाजार में तेज सुधार की मजबूत संभावना
नई दिल्ली, 2025 — तीन दशकों के सबसे कमजोर दौर के बाद भारतीय शेयर बाजार 2026 में एक बार फिर जोरदार उछाल की ओर बढ़ सकता है। वैश्विक निवेश बैंक मॉर्गन स्टेनली ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि आने वाले 12 महीनों में भारत का बाजार गति पकड़ने की स्थिति में है। रिपोर्ट में घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती, स्थिर वैश्विक माहौल और अनुकूल कच्चे तेल की कीमतों को प्रमुख सहायक कारक बताया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार,
नीति-परिवर्तन सकारात्मक दिशा में हैं, जिससे नाममात्र वृद्धि में सशक्त सुधार की उम्मीद है।
कंपनियों की कमाई में सुधार और पिछले एक वर्ष से जारी मिड-साइकिल मंदी से राहत मिलने की संभावना जताई गई है।
विदेशी और घरेलू निवेशकों का रुझान
मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भारत में एक्सपोजर ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर है, जबकि घरेलू निवेशकों का रुझान स्थायी और मजबूत बना हुआ है। फर्म ने अपने बेस-केस परिदृश्य में दिसंबर 2026 तक बीएसई सेंसेक्स में 13% वृद्धि का अनुमान लगाया है।
इन कारकों से मिलेगा बाजार को समर्थन
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2026 में संभावित तेजी भारत की मैक्रो-इकॉनॉमिक स्थिरता पर आधारित होगी।
मुख्य समर्थक कारक:
राजकोषीय संयम
निजी निवेश में निरंतर बढ़ोतरी
मजबूत घरेलू वृद्धि
स्थिर वैश्विक आर्थिक वातावरण
अनुकूल कच्चे तेल की कीमतें
इसके अलावा, रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि भारत-अमेरिका के टैरिफ से जुड़े मुद्दों का समाधान आने वाले सप्ताहों में संभव है, जिससे बाजार भावना को अतिरिक्त समर्थन मिल सकता है।
मौद्रिक नीति और कमाई का अनुमान
मॉर्गन स्टेनली ने मौद्रिक नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अल्पकालिक ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की एक और कटौती और सकारात्मक तरलता माहौल की संभावना है।
साथ ही, सेंसेक्स की कमाई में वित्त वर्ष 2028 तक 17% CAGR का अनुमान लगाया गया है।
सरकारी और आरबीआई के कदमों से मिलेगी रफ्तार
ब्रोकरेज के अनुसार, आगे बाजार को सकारात्मक बढ़त मिलने की संभावना है, जिसे निम्नलिखित कदमों से बल मिलेगा:
आरबीआई और सरकार द्वारा ब्याज दरों में कटौती
सीआरआर में संभावित कटौती
बैंकिंग क्षेत्र में नियंत्रणमुक्ति
नकदी प्रवाह बढ़ाने हेतु पुनर्मुद्रास्फीति प्रयास
अग्रिम पूंजीगत व्यय
लगभग 1.5 ट्रिलियन रुपये की जीएसटी दरों में कटौती, विशेषकर बड़े पैमाने पर उपभोग क्षेत्रों में