15 साल का रिकॉर्ड टूटा? बंपर वोटिंग की वजह SIR तो नहीं!
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में रिकॉर्ड तोड़ बंपर वोटिंग हुई है। जन सुराज अभियान के नेता प्रशांत किशोर (PK) ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अपनी जीत का दावा किया है। उन्होंने कहा, “इतनी बड़ी वोटिंग सरकार को बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि बदलाव के लिए होती है। 14 तारीख को बिहार में इतिहास लिखा जाएगा।”
अब सवाल उठता है — क्या वाकई यह वैसा ही है जैसा दिख रहा है? आखिर बिहार में इतनी बड़ी वोटिंग की वजह क्या है?
आम तौर पर यह माना जाता है कि ज्यादा मतदान सत्ता विरोधी लहर का संकेत होता है, लेकिन हर बार ऐसा जरूरी नहीं होता। इस बार के मतदान को समझने के लिए SIR (Special Summary Revision) यानी विशेष मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को समझना होगा।
SIR प्रक्रिया के दौरान बिहार में मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटाए गए थे। राज्य में लगभग 30.7 लाख मतदाता हटाए गए, जिससे कुल मतदाता संख्या में करीब 4% की कमी आई। इसके बावजूद 6 नवंबर को हुए पहले चरण में 3.75 करोड़ मतदाताओं में से 2.43 करोड़ ने वोट डाला — जो कि 2024 लोकसभा चुनाव के 2.15 करोड़ वोटरों से कहीं अधिक है।
इससे साफ है कि मतदाता सूची में कटौती के बावजूद लोगों ने मतदान के प्रति जबरदस्त उत्साह दिखाया है। अब देखना होगा कि यह “बंपर वोटिंग” बदलाव का संकेत है या सत्ता के समर्थन का परिणाम।