बार-बार हो रही एंग्ज़ाइटी से हैं परेशान? जानिए मनोचिकित्सकों के बताए आसान उपाय
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी चुनौती बन चुका है। खासकर युवा और छात्र तनाव और एंग्ज़ाइटी (चिंता) से सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं। पहले मानसिक समस्याएं उम्र बढ़ने पर होती थीं, लेकिन अब ये कम उम्र में ही नज़र आने लगी हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे हम शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग, व्यायाम और सही खान-पान पर ध्यान देते हैं, वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना ज़रूरी है।
युवाओं में तेजी से बढ़ रही है चिंता और तनाव
हाल के अध्ययनों से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं:
भारत में 2023 में लगभग 10.6% वयस्क किसी न किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे।
एक सर्वे में पाया गया कि 37.2% मेडिकल छात्र आत्महत्या के विचारों से ग्रस्त थे।
2023 के एक अन्य अध्ययन के अनुसार 11.5% वयस्कों में अवसाद, एंग्जाइटी या अन्य मानसिक विकार पाए गए।
इंग्लैंड में 2024 में 8.6 मिलियन लोगों को एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दी गईं — जो चिंता और डिप्रेशन के इलाज में दी जाती हैं।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य अब पहले से कहीं ज़्यादा गंभीर मुद्दा बन चुका है।
कैसे पाएं एंग्जाइटी और तनाव से राहत?
मनोचिकित्सकों के अनुसार, चिंता एक सामान्य मानवीय अनुभव है, लेकिन जब यह लगातार बनी रहती है तो यह मानसिक विकार में बदल सकती है। विशेषज्ञों ने एंग्जाइटी को कम करने के कुछ आसान लेकिन असरदार तरीके बताए हैं:
1. ICE प्रोटोकॉल अपनाएं
डॉ. सैली के अनुसार, "ICE" का मतलब है:
I – Identify (पहचानें): कौन-सी बात या स्थिति चिंता पैदा कर रही है, उसे स्पष्ट रूप से पहचानें।
C – Calm (शांत रहें): गहरी सांस लें, संगीत सुनें या थोड़ी देर टहलें। इससे दिमाग को शांति मिलती है।
E – Exchange (बात करें): अपनी भावनाएं किसी भरोसेमंद दोस्त या परिवार के सदस्य से साझा करें।
2. अन्य उपयोगी उपाय
खिड़की या खुले स्थान पर जाएं और कुछ समय गहरी सांस लें।
थोड़ी देर टहलें या सीढ़ियाँ चढ़ें।
तकनीक से दूरी बनाएं — खासकर सोशल मीडिया से।
रोज़मर्रा के कामों में माइंडफुलनेस (पूर्ण एकाग्रता) लाने की कोशिश करें।
मेंटल हेल्थ को बेहतर रखने के लिए क्या करें?
मनोचिकित्सकों के अनुसार, कुछ छोटे लेकिन नियमित बदलाव मानसिक स्वास्थ्य में बड़ा सुधार ला सकते हैं:
नियमित व्यायाम और योग करें।
भरपूर नींद लें — कम से कम 7–8 घंटे।
संतुलित आहार लें, जंक फूड और कैफीन से बचें।
मोबाइल और सोशल मीडिया का सीमित उपयोग करें।
परिवार और दोस्तों से बातचीत करते रहें।
अगर ज़रूरत लगे, तो मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से सलाह लेने में बिल्कुल न झिझकें।
निष्कर्ष
मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी आजकल कई गंभीर समस्याओं को जन्म दे रही है। खासकर युवाओं को समय रहते इसकी गंभीरता को समझना ज़रूरी है। यदि एंग्जाइटी या तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो इसे नजरअंदाज न करें — तुरंत सही कदम उठाएं। एक छोटी सी पहल, आपका भविष्य बदल सकती है।
(यह लेख विभिन्न मेडिकल रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय के आधार पर तैयार किया गया है। किसी भी गंभीर समस्या की स्थिति में प्रोफेशनल मेडिकल सलाह ज़रूर लें।)